
मुड़ागांव के बाद सराईटोला में भी अडाणी का ‘वन संहार’, तड़के 4 बजे जंगल पर चला हाइड्रा
रायगढ़ 30 जून 2025। मुड़ागांव के बाद अब रायगढ़ जिले के सराईटोला गांव में भी अडाणी ग्रुप द्वारा कोयला खनन के लिए जंगलों का विनाश शुरू कर दिया गया है। ग्रामीणों के विरोध से बचने के लिए कंपनी ने तड़के 4 बजे कार्रवाई करते हुए हाइड्रा मशीनों से पेड़ों को काटकर समतलीकरण कर दिया। हरे-भरे जंगलों को कुचलकर वहां की हरियाली और जीवनदायिनी वनोपज को मिटा दिया गया, जिस पर वर्षों से आदिवासी समुदाय अपनी आजीविका निर्भर करता रहा है।

स्थानीय आदिवासियों का कहना है कि उन्हें न तो सूचना दी गई, न ही उनकी ग्रामसभा की राय ली गई। एक आदिवासी महिला ने बताया, “हमारी संस्कृति और आजीविका पर हमला किया जा रहा है। जंगल हमारे जीवन का हिस्सा हैं।” वहीं सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि “इस ‘वनसंहार’ को अंजाम देने प्रशासन और पुलिस पूरी तरह अडाणी के साथ खड़ी है।”

मुड़ागांव के बाद सराईटोला में भी यह कार्रवाई तब हुई है जब स्थानीय लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की जमीन या जंगल का उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रशासन के आदेश पर यह नियम खुलेआम तोड़ा गया।
विपक्ष नेता डॉ.चरण दास महंत जल्द ही पहुंच सकते हैं मुड़ागांव
इस बीच खबर है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ. चरणदास महंत जल्द ही मुड़ागांव पहुंच सकते हैं। कांग्रेस पहले ही इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने का ऐलान कर चुकी है।
विरोध कुचलने की कोशिशें: बिजली काटी, गांव बना छावनी
ग्रामीणों का विरोध दबाने के लिए प्रशासन ने बिजली तक काट दी थी। बाद में ग्रामीणों के विरोध पर एक फेस से बिजली बहाल की गई। गांव की सीमाओं पर पुलिस तैनात है, जिससे लोग जंगल की ओर भी नहीं जा पा रहे।
अब सवाल उठता है: क्या पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों की बलि देकर ही खनन होगा? और अगर पांचवीं अनुसूची के अधिकारों की यही स्थिति है, तो फिर वह किसके लिए है?
यह मामला न सिर्फ पर्यावरणीय संकट को उजागर करता है, बल्कि आदिवासी अधिकारों पर गहराते संकट की ओर भी इशारा करता है। अब देखना होगा कि सरकार और न्यायिक संस्थाएं इस ‘वनसंहार’ पर क्या रुख अपनाती हैं।