खनिज जांच चौकी टिमरलगा: भ्रष्टाचार का गढ़ बना सरकारी चौकी, नियमों की कीमत मात्र ₹500!

बिना रॉयल्टी और ओवरलोड गाड़ियाँ धड़ल्ले से पार, शासन-प्रशासन बना मूकदर्शक, सरकार को करोड़ों का नुकसान
सारंगढ़-बिलाईगढ़, 1 जुलाई 2025। रायगढ़ जिले के सीमावर्ती गांव गुड़ेली-टिमरलगा में स्थापित खनिज जांच चौकी इन दिनों भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का केंद्र बन चुकी है। नियमों और कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए यहां से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बिना रॉयल्टी और ओवरलोड गाड़ियाँ बेरोकटोक गुजर रही हैं — और वह भी जांच चौकी में बैठे कर्मचारियों की ‘सहमति’ से।
सूत्रों की मानें तो जांच चौकी के प्रभारी और कर्मचारी हर वाहन से ₹500 की अवैध वसूली कर रहे हैं। यह “पर्ची सिस्टम” के तहत होता है, जिसमें हर हफ्ते या महीने हिसाब-किताब कर लिया जाता है। कुछ ड्राइवर ‘पहचान’ या ‘सेटिंग’ के सहारे सीधे पार हो जाते हैं। विभाग के अधिकारी भी इस खेल में पूरी तरह से संलिप्त हैं या फिर जानबूझकर चुप्पी साधे बैठे हैं।
वीडियो प्रमाण के बावजूद कार्रवाई नहीं, अधिकारी चुप क्यों?
ट्रकों से पर्ची लेते कर्मचारियों का वीडियो सबूत स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा एसडीएम प्रखर चंद्राकर, खनिज अधिकारी बजरंग पैकरा और दीपक पटेल को भेजा गया, लेकिन अब तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई। सवाल यह उठता है कि क्या इन अधिकारियों ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं या वे भी इस भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन चुके हैं?
प्रशासन की निष्क्रियता या मिलीभगत?
हर दिन हो रही इस संगठित लूट से न केवल शासन को करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है, बल्कि यह भी साफ हो गया है कि खनिज विभाग अब दलालों और माफियाओं के इशारों पर चल रहा है। यदि चौकी प्रभारी ईमानदार होते, तो एक भी अवैध गाड़ी पार नहीं होती।
जनता की चार बड़ी मांगें:
1. जांच चौकी प्रभारी को तत्काल निलंबित किया जाए।
2. जांच चौकी का CCTV फुटेज जब्त कर निष्पक्ष जांच की जाए।
3. खनिज विभाग के उच्च अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो।
4. शासन को हुए राजस्व नुकसान की वसूली दोषियों से की जाए।
यह सिर्फ घोटाला नहीं, जनता के विश्वास की हत्या है
जनता का कहना है कि यदि इस भ्रष्टाचार पर भी शासन-प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है, तो यह मान लेना चाहिए कि पूरा सिस्टम अब माफिया के कब्जे में जा चुका है। ऐसे में न्याय तभी बचेगा जब दोषियों को सख्त दंड मिलेगा — वरना न केवल खनिज संपदा, बल्कि छत्तीसगढ़ की साख भी दांव पर लग जाएगी।
अब वक्त है निर्णायक लड़ाई का – जनता, मीडिया और जनप्रतिनिधियों को साथ आना होगा।