
रायगढ़, पुसौर 1 जुलाई 2025। जिला रायगढ़ के पुसौर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम आरमुड़ा निवासी 27 वर्षीय सुशील भूमिया की आत्महत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। मानसिक प्रताड़ना से टूट चुके युवक ने 29 मई 2024 को ज़हर खाकर अपनी जान दे दी थी। एक महीने की लंबी जद्दोजहद और परिजनों की लड़ाई के बाद अब जाकर पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
सुसाइड नोट से खुला सच्चाई का दरवाज़ा
मृतक सुशील ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उसने अपनी पीड़ा का ब्योरा दिया था। परिजनों के बयान और गवाहों के समर्थन से यह साफ हुआ कि उसे गांव के ही कुछ लोगों द्वारा लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। इस आधार पर 3 जून 2025 को पुसौर थाना में भादंवि की धारा 306 और 34 के तहत अपराध क्रमांक 161/2025 दर्ज किया गया।
पांचों आरोपी गिरफ्तार, जुर्म कबूल
टीआई रामकिंकर यादव के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने गहन जांच के बाद ग्राम आरमुड़ा के पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के नाम हैं:
सब्या भूमिया (25)
दिलीप भूमिया (24)
राजेश भूमिया (28)
बालमुकुंद नायक (55)
लवकुमार महापात्र (81)
पूछताछ में सभी आरोपियों ने अपने अपराध स्वीकार कर लिए हैं। पुलिस ने सभी को न्यायालय में प्रस्तुत कर रिमांड पर भेज दिया है।
देरी पर उठे सवाल
जहां एक ओर पुलिस की कार्रवाई की सराहना की जा रही है, वहीं दूसरी ओर देरी को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं। क्या यदि यह कार्रवाई समय रहते होती, तो सुशील को बचाया जा सकता था? क्या सामुदायिक चेतना और त्वरित हस्तक्षेप ने एक जान बचा ली होती?
अब न्याय की बारी
मामले की आगे की जांच जारी है और परिजन अब न्याय की आस में हैं। समाज के लिए यह एक कड़वा सबक है कि मानसिक प्रताड़ना भी हत्या के बराबर है – और इसे नज़रअंदाज़ करना एक और अपराध है।
निष्कर्ष:
सुशील की मौत कोई साधारण आत्महत्या नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदनहीनता का वीभत्स रूप है। यह घटना चेतावनी है कि अब चुप रहना भी अपराध है। जरूरत है समय पर कार्रवाई और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की – ताकि अगला सुशील समय रहते बचाया जा सके।