
रायगढ़ ,तमनार 26 जून, 2025। — छत्तीसगढ़ के तमनार में एक तरफ “मां के नाम एक पेड़” लगाकर पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रदर्शन, और दूसरी तरफ उसी धरती पर हज़ारों पेड़ों की बेरहम कटाई। यह विरोधाभास अब एक बड़े जन-सवाल में बदल चुका है: क्या सरकार सच में जनता की है, या अब सिर्फ कंपनियों की एजेंट?

🌳 जंगल बचे तो जेल मिली, जंगल काटे तो संरक्षण!
तमनार के मुड़ागांव में ग्रामसभा की अनुमति के बिना हज़ारों पेड़ों की कटाई कर दी गई। यह सीधा-सीधा छत्तीसगढ़ पंचायत अधिनियम, वन अधिकार कानून और संविधान की 5वीं अनुसूची का उल्लंघन है।

जब स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक विरोध किया, तो पुलिस ने दमनकारी कार्रवाई करते हुए 50 से अधिक ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया।

पर्यावरण मंत्री का मौन — संयोग या समझौता?
यह सब मंत्री के गृह ज़िले में हुआ।
पर वो मौन रहे —
जब पेड़ों की हत्या हुई,
जब ग्रामसभा की ताकत रौंदी गई,
जब निर्दोष ग्रामीणों को जेल भेजा गया।
👉 अब सवाल उठ रहे हैं —
किस कंपनी के दबाव में मंत्री जी चुप हैं?
क्या वह जनता के नहीं, अब उद्योगपतियों के मंत्री बन चुके हैं?
क्या रायगढ़ की धरती सिर्फ मुनाफे की मंडी बन चुकी है?
यह सिर्फ जंगल की कटाई नहीं, संविधान और संस्कृति का गला घोंटना है!
यह घटना यह बताती है कि अब
ग्रामसभा के अधिकारों की कोई अहमियत नहीं,
आदिवासी हितों की कोई परवाह नहीं,
और बिना जनता की सहमति के जल-जंगल-जमीन का सौदा खुलेआम किया जा रहा है।

तमनार अब बोलेगा — और पूरे छत्तीसगढ़ की आवाज़ बनेगा!
यह केवल एक गांव की लड़ाई नहीं — यह एक जन-आंदोलन की शुरुआत है:
जंगल के लिए
संविधान के लिए
ग्रामसभा की ताकत के लिए और सत्ता की लूट के खिलाफ
जनता की स्पष्ट माँगें:-
1. जंगल कटाई पर तत्काल रोक लगे
2. ग्रामसभा की अनुमति के बिना हुई कार्रवाई रद्द की जाए
3. गिरफ्तार ग्रामीणों को तुरंत रिहा किया जाए
4. पर्यावरण मंत्री को पद से हटाया जाए
5. संबंधित कंपनी और अफसरों पर कानूनी कार्रवाई हो