
लैलूंगा, रायगढ़ 1 जुलाई 2025। राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। ग्राम तोलमा के सात किसानों ने पटवारी रोहित पटेल (सीनियर) पर रिश्वतखोरी का गंभीर आरोप लगाते हुए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) लैलूंगा को शिकायत सौंपी है। किसानों का आरोप है कि भूमि बंटवारे के नाम पर पटवारी ने उनसे कुल 41,000 रुपये वसूले, लेकिन एक वर्ष बीतने के बावजूद न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही राशि वापस की गई।
शिकायत करने वाले सभी किसान उरांव समुदाय से हैं, जिनमें गुरबारू, रूजू, बुधराम, विनोद, राजेश, मंगरू और सोमारी शामिल हैं। इनका कहना है कि संयुक्त खाते में मौजूद 22.540 हेक्टेयर कृषि भूमि के बंटवारे के लिए उन्होंने तहसील कार्यालय में आवेदन दिया था, जिसके बाद हल्का पटवारी को निर्देशित किया गया। लेकिन जब किसान पटवारी से मिले, तो उसने दो टूक कहा – “बिना पैसा दिए कोई काम नहीं होगा।”

किसानों के अनुसार, पटवारी रोहित पटेल ने व्यक्तिगत रूप से गुरबारू पिता रूगुराम, रूजू पिता एतवा और बुधराम पिता एतवा से ₹5,000-₹5,000, विनोद पिता मानसाय से ₹6,000, राजेश पिता महेश से ₹5,000, रन्थू से ₹10,000 और सोमारी से ₹5,000 की वसूली की गई थी। किसानों ने बताया कि उन्होंने यह रकम एक वर्ष पहले पटवारी को दी थी ताकि 22.540 हेक्टेयर कृषि भूमि का बंटवारा करवाया जा सके।
एक वर्ष बीत जाने के बाद जब किसान लगातार संपर्क कर रहे हैं, तो पटवारी अब कह रहा है कि वह उस क्षेत्र का पटवारी नहीं है और वह कोई काम नहीं करेगा, यहां तक कि उसने कह दिया – “जो करना है कर लो, पैसा वापस नहीं करूंगा।”
लगातार सामने आ रहे हैं घोटाले, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं
यह मामला लैलूंगा क्षेत्र में पिछले एक महीने में सामने आया तीसरा भ्रष्टाचार प्रकरण है। इससे पहले पटवारी रामनाथ को रिश्वतखोरी के मामले में ऑफिस अटैच किया गया, वहीं संगीता गुप्ता पर ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने अवैध वसूली और अनुपस्थिति के आरोप लगाए थे – लेकिन आज तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अब रोहित पटेल का मामला सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि लैलूंगा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और राजस्व विभाग में जवाबदेही का अभाव है। किसानों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जनआंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
पीड़ित किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि:-
संबंधित पटवारी के ऊपर उचित कार्रवाई की जाए,
उनसे वसूली गई पूरी राशि लौटाई जाए,
और राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
यह मामला सिर्फ किसानों के साथ अन्याय नहीं, बल्कि प्रशासन पर जनता के भरोसे की सरेआम हत्या है।