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आत्मानंद स्कूल घरघोड़ा में प्राचार्य की तानाशाही पर एनएसयूआई का फूटा गुस्सा — सुधर जाओ पण्डा नहीं तो होगा उग्र आंदोलन!

प्रभारी प्राचार्य संजय पण्डा शुरू से रहे हैं विवादित

रायगढ़,घरघोड़ा 6 जुलाई 2025। के पीएम श्री आत्मानंद स्कूल में प्रभारी प्राचार्य संजय पण्डा की तानाशाही और अहंकारी कार्यशैली से पालक और छात्र बेहद परेशान हैं। संजय पण्डा पर आरोप है कि वे न सिर्फ हिंदी माध्यम में प्रवेश पर अघोषित रोक लगाए बैठे हैं, बल्कि प्रवेश के लिए आने वाले गरीब व सामान्य वर्ग के बच्चों को “स्कूल के लायक नहीं” बताकर अपमानित कर रहे हैं। इस प्रकार की बयानबाज़ी न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि शिक्षा के अधिकार का भी खुला उल्लंघन है। गरीब पालकों के लिए आत्मानंद स्कूल के अलावा कोई और स्कूल भी नही है इसलिए पालक शिकायत की जगह हाथ पैर जोड़ रहे पर प्राचार्य महोदय की सनक के आगे किसी का कोई मोल नही है ।

कमज़ोर छात्रों पर प्रहार, अंग्रेजी माध्यम के नाम पर छलावा

प्रभारी प्राचार्य संजय पण्डा की सोच शिक्षा को बढ़ावा देने की नहीं, बल्कि छात्रों को पीछे धकेलने की प्रतीत होती है। अंग्रेजी माध्यम के उन छात्रों को, जो किसी विषय में कमजोर हैं, चिन्हित कर उनके पालकों को बुलाया जा रहा है और टीसी लेने का सीधा दबाव डाला जा रहा है। यह कार्यशैली न केवल शिक्षा के उद्देश्य के विरुद्ध है, बल्कि संवेदनहीन और क्रूर है। एक प्राचार्य का कर्तव्य बच्चों को संवारना है, न कि उन्हें ठुकराना ,लेकिन संजय पण्डा जैसे प्रभारी प्राचार्य स्कूल को निजी जागीर समझ बैठे हैं।

एनएसयूआई का आक्रोश, आंदोलन की दी चेतावनी

एनएसयूआई के उप जिलाध्यक्ष आदित्य दासे और नगर अध्यक्ष शिवम गुप्ता ने प्रभारी प्राचार्य संजय पण्डा की दमनकारी कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोनों छात्र नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि तुरंत सभी पात्र बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया और पालकों पर दबाव डालने की यह तानाशाही बंद नहीं की गई, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा गरीब छात्रों को प्रवेश देना ही होगा ।

पूर्व में भी विवादित रहे हैं पण्डा, शिक्षा की आड़ में निजी स्वार्थ


यह कोई पहली बार नहीं है जब आत्मानंद स्कूल घरघोड़ा के प्रभारी प्राचार्य संजय पण्डा विवादों में घिरे हों। पूर्व में भी उनके विरुद्ध कई शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन उनकी पकड़ और अकड़ के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एक ओर शासन गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में करोड़ों खर्च कर रहा है, वहीं संजय पण्डा जैसे अधिकारी उस उद्देश्य को पलीता लगाने में जुटे हैं। अब समय आ गया है कि ऐसे संवेदनहीन और आत्ममुग्ध प्राचार्य को पद से हटाकर स्कूल को सही दिशा दी जाए।

बाल विवाह अपराध है, बच्चों के लिए अभिशाप है।

Jane Kurre

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