
शिकायतकर्ता संतोष यादव ने खोला घोटाले का पर्दाफाश — प्रशासन मौन!
पत्थलगांव (जशपुर) 20 जुलाई 2025। स्वास्थ्य सेवा जहां सबसे पवित्र और निःस्वार्थ होनी चाहिए, वहां अब पैसे की लूट चल रही है। जशपुर जिले के बहनाटांगर गांव से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में मुफ्त सेवाओं के बदले आम ग्रामीणों से खुल्लमखुल्ला पैसा वसूला जा रहा है।
शिकायतकर्ता संतोष यादव ने इस गोरखधंधे की पोल खोलते हुए सीधे BMO को मौखिक शिकायत दी है। मामला गंभीर है — क्योंकि ये वही सेवाएं हैं, जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह नि:शुल्क घोषित कर चुकी हैं।
किस बात के पैसे मांगे जा रहे हैं?
🔹 बीपी और शुगर जांच: ₹50
🔹 ABHA ID बनाने के लिए: ₹20
🔹 TT इंजेक्शन: ₹400 (!)
जबकि ये सभी सेवाएं सरकारी योजनाओं के अंतर्गत पूरी तरह मुफ्त हैं। खासकर टिटनेस इंजेक्शन जो राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा है — उसके बदले पैसा वसूलना कानूनन अपराध है।
क्या कहता है नियम और कानून?
30 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए बीपी, शुगर व कैंसर जांच मुफ्त
ABHA ID आयुष्मान भारत के अंतर्गत पूरी तरह निशुल्क
TT इंजेक्शन सरकारी टीकाकरण योजना में शामिल, शत-प्रतिशत मुफ्त
CHO की गैरहाजिरी बनी संदेह की वजह
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, CHO (Community Health Officer) अक्सर केंद्र में उपस्थित नहीं रहते। ऐसे में सवाल उठता है:
उनकी अनुपस्थिति में जिम्मेदारी किसके पास है?
क्या वे इस अवैध वसूली की जानकारी में थे?
या फिर उनकी मौन सहमति ही इस भ्रष्टाचार की वजह है?
अगर CHO इस भ्रष्टाचार को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, साझेदारी है।
BMO की चुप्पी – साज़िश या लाचारी?
शिकायत के बाद भी BMO द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। बस जांच का आश्वासन देकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश जारी है।
क्या जांच के नाम पर सिर्फ फॉर्मेलिटी निभाई जाएगी?
क्या दोषियों को कानूनी सजा मिलेगी या मामला फाइलों में दबा दिया जाएगा?
जनता के तीखे सवाल :–
सरकार जब कह रही है कि सेवा मुफ्त है, तो वसूली क्यों?
TT इंजेक्शन का रेट 400 रुपये — क्या अब गरीबों की सेहत भी नीलाम होगी?
BMO और CHMO जैसे वरिष्ठ अधिकारी क्यों चुप हैं?
क्या बहनाटांगर अकेला मामला है या ऐसा नेटवर्क पूरे जिले में फैला हुआ है?
अब सवाल नहीं, जवाब चाहिए!
इस पूरे घटनाक्रम ने स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि शासन-प्रशासन की नजरों में गरीबों की सेहत का कोई मोल नहीं।
शिकायतकर्ता संतोष यादव ने बहादुरी से भ्रष्ट व्यवस्था को उजागर किया है — अब प्रशासन की बारी है कि वह सिर्फ आश्वासन दे या वास्तव में कार्रवाई करे।
जनता अब जाग चुकी है — अगर दोषियों पर सख्ती नहीं हुई, तो जनआक्रोश निश्चित है।
बहनाटांगर में “स्वास्थ्य माफिया” कब तक खुलेआम जेब और जान लूटते रहेंगे?
अब नहीं रुकेगा सवालों का सिलसिला — जवाब तो देना ही होगा!